16 अप्रैल, 2010

लाज - कहानी

अरे बेटा.. दूर की चाची गोविन्द से कह रही थी- तुम्हें तो बहू ने फांस ही लिया। तुमने अपनी पढाई में लाखों रुपये खर्च किये और बहू ने तुम्हें दिया ही क्या? यही एक अलमारी, टीवी और बेड। भला ये भी कोई दहेज होता है शादी में।

वो तो ठीक है चाची। गोविन्द ने एक बार चाची की तरफ देखा और पास बैठी अपनी पत्नी के सिर पर हाथ रखते हुए कहा- लेकिन यदि मैं दहेज के पीछे भागता तो आज इतनी प्यारी पत्नी पाने से वंचित रह जाता। फिर मेरे लिए मेरी पत्नी ही लाखों में और लाखों की दहेज है। और पैसा क्या है? पैसा तो मैं कमा ही रहा हूं। सारी बातें सुन रही नई बहू राधिका को अपने पति पर गर्व हुआ। उसे लग रहा था कि आज पति ने उसकी लाज रख ली है।

[खेमकरण सोमन]

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