एक था कौआ, और एक थी मैना। दोनो मे दोस्ती हो गई।
मैना भली ओर भोली थी, लेकिन कौआ बहुत चंट था।
मैना ने कौए से कहा, "कौए भैया! आओं, हम खेत जोतने चले। अनाज अच्छा पक जायेगा, तो हमको साल भर तक चुगने नही जाना पड़ेगा, और हम आराम के साथ खाते रहेगे।"
कौआ बोला, "अच्छी बात है। चलो चलें।"
मैना ओर कौआ अपनी-अपनी चोच से खेंत खोदने लगे।
कुछ देर बाद कौए की चोंच टूट गई। कौआ लुहार के घर पहुचा और वहां अपनी चोंच बनवाने लगा। जाते-जाते मैना से कहता गया, "मैना बहन! तुम खेत तैयार करो। मै चोंच बनावाकर अभी आता हूं।"
मैना बोली, "अच्छी बात है।"
फिर मैना ने सारा खेत खोद लिया, पर कौआ नही आया।
कौआ की नीयत खोटी थी। इसलए चोंच बनवा चुकने के बाद भी वह काम से जी चुराकर पेड़ पर बैठा-बैठा लुहार के साथ गपशप करता रहा। मैना कौए की बाट देखते-देखते थक गई। इसलिए वह कोए को बुलाने निकली। जाकर कौए से कहा, "कौए भैया, चलो! खेत सारा खुद चुका है। अब हम खेत मे कुछ बो दें।"
कौआ बोला
अल्लम-टल्लम करता हूं।
चोंच अपनी बनवाता हूं।
मैना बहन, तुम जाओं, मै आता हूं।
मैन लौट गई ओर उसने बोना शुरू कर दिया। मैना ने बढ़िया बाजरा बोया। कुछ ही दिनो के मे वह खूब बढ़ गया।
इस बीच नींद ने निराने का समय आ पहुचा। इसलिए मैना बहन फिर कौए को बुलाने गई। जाकर कौए से कहा, "कौए भैया! चलो, चलो बाजरा बहुत बढिया उगा हैं। अब जल्दी ह निरा लेना चाहिए, नही तो फसल को नुक़सान पहुंचेगा।"
पेड़ पर बैठे-बेठे ही आलसी कौआ बोला
अल्लम-टल्लम करता हूं। चोंच अपनी बनवाता हूं।
मैना बहन, तुम जाओं, मै आता हूं।
मैना वापस आ गई। उसने अकेले ही सारे खेत की निराई कर ली।
कुछ दिनों के बाद फसल काटने का समय आ लगा। इसलिए मैना फिर कौए को बुलाने गई। जाकर कौए से कहा, "कौए भैया! अब तो चलो फसल काटने का समय हो चुका है! देर करके काटेंगें, तो नुकसान होगा।"
कौआ बोला
अल्लम-टल्लम करता हूं।
चोंच अपनी बनवाता हूं।
मैना बहन, तुम जाओं मै आता हूं।
मैना तो निराश होकर वापस आ गई। और गुस्से-ही-गुस्से मेंअकेली खेत की सारी फसल काट ली।
इसके बाद मैना ने बाजरे का के भुटटों मे से दाने निकाले। एक तरफ
बाजरे का ढेर लगा दिया और दूसरी तरफ भूसे का बड़ा-सा ढेर बनाकर उसके ऊपर थोड़ा बाजरा फैला दिया।
बाद मे वह कौए को बुलाने गई। जाकर बोली, "कौए भैया! अब तो तुम चलोगें? मैने बाजरे की ढेरियां तैयार कर ली है। तुमको जो ढेरी पसन्द हो, तुम रख लेना।"
कौआ यह सोचकर खुश हो गया कि बिना मेहनत के ही उसको बाजरे का अपना हिस्सा मिलेगा।
कौए ने मैना से कहा, "चलों बहन! मै तैयार हूं। अब मेरी चोंच अच्छी तरह ठीक हो गई है।"
कौआ और मैना दोनो खेत पर पहुंचे। मैना ने कहा, "भैया! जो ढेरी तुमको अच्छी लगे, वह तुम्हारी।"
बड़ी ढेरी लेने के विचार से कौआ भूसे वाले ढेर पर जाकरबैठ गया। लेकिन जैसे ही वह बैठा कि उसके पैर भूसे मे धंसने लगे, और भूसा उसकी आंखों, कानों और मुंह मे भर गया। देखते-देखते कौआ मर गया!
good story
जवाब देंहटाएंKahani to bahut achhi hai, bachho ko esase prerna milege, muft ki roti me mithas nwhi hoti.
जवाब देंहटाएंOutstanding story for childrens
जवाब देंहटाएंHm logo ko koy jasa nhi maine jaisa bnna chahiye.....this is a moral giving story........i really liked this :)
Wow really this is an excellent story for childrens.....everyone should take a lesson from this story.....i enjoyed this story soooo much :)))
जवाब देंहटाएंBahut achha laga
जवाब देंहटाएंAmazing story
जवाब देंहटाएंgood story
जवाब देंहटाएंHAR CHIZ MEHNAT KARNE SE HE MILTI HAI
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