यदि आप कभी माईकल लोटीटो को खाने पर बुलाएं, तो बिल्कुल परेशान न हों। क्योंकि वह न केवल प्लेट से खाना खाएगा, बल्कि प्लेट, चमचे, यहां तक कि मेज़ तक चट कर जाएगा। 1966 से अब तक लोटीटो दस साइकिलों सुपर मार्केट का ठेला, सात टीवी सैट, छह फानूस, और एक पूरा विमान खा चुका है। गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डज़ में माईकल के बारे में उन वस्तुओं का ब्यौरा दिया गया है, जो वह खा चुका है।डॉक्टरों ने उसके पेट का एक्स-रे करके यह रहस्योंद्घाटन किया है कि प्रकृति ने उसके पेट में रोज़ाना दो पौंड धातु हज़म करने की क्षमता रखी है। 16 फरवरी, 1988 को होस्टन, टैक्सास में टीवी प्रोडच्यूसरों और एक अख़बार के संपादकों के सामने 38 वर्षीय लोटीटो ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। वह उनके सामने ब्लैड, नट, बोल्ट और कीलों से भरा हुआ सैंडविच मिनटों में चट कर गया। जब उसने ब्लैड को बड़े आराम से दांतों और जीभ की मदद से चबा-चबाकर निगला, तो हैरानी से देखने वालों के मुंह खुले के खुले रह गए।
इस प्रदर्शन के कुछ मिनट बाद उसे निकटवर्ती अस्पताल में ले जाया गया, जहां एक्स-रे लिए गए। जिस रेडियोजिस्ट ने उसके एक्सरे का मुआयना किया, उसने उसके पेट में धातु की अत्यधिक मात्रा एकत्र देखी। लोटीटो फ्रांस में रहता है। वह संसार के विभिन्न स्थानों पर अपनी कला का प्रदर्शन करता है। गिनीज़ बुक के अधिकारियों ने लोटीटो को बताया कि वह उसका नाम अपनी पुस्तक में दर्ज़ करने वाले हैं।
उन्होंने उसे तांबे और लकड़ी का बक्सा दिया, जिस पर लिखा था, वह दुनिया की हर चीज़ खा जाने वाला महान इंसान है। लोटीटो कुछ मिनट में उस बक्से को भी हड़प कर गया। लोटीटो के बताया कि धातु खाना उसका प्रिय शौक़ है। धातु के बाद शीशे का नंबर आता है। धातु और शीशा खाते समय उसे बहुत अधिक पानी पीना पड़ता है, ताकि वह गले में न अटका रहे।
इस विस्मयकारी फ्रांसीसी नवयुवक ने अपनी कहानी बयान करते हुए कहा कि जब वह नौ वर्ष का था, तो उसे मालूम हुआ कि प्रकृति ने उसे दर्द को सहने की बेपनाह क्षमता दी है। सोलह वर्ष की आयु में उसने अपनी दर्द सहने वाली विशेषता को परखने के लिए शीशे का गिलास खाने का निश्चय किया। फिर वह बोतलें, प्लेटें और बाद में धातु की चीज़ें और ब्लैड भी खाने लगा। उसने वसीयत की है कि जब वह मरे, तो उसकी लाश डॉक्टरी प्रयोगों के लिए वैज्ञानिकों को दे दी जाए।

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