17 नवंबर, 2009

कुछ रचनायें

महसूस तो कर हां ख़ुदा मिलेगा।
हर रूप में लेकिन जुदा मिलेगा।
बददुआ न कर किसी के लिए,
गड्ढा तेरे लिए भी खुदा मिलेगा।

जिदगी में बहुत ग़म मिलेंगे।
सच्चे दोस्त बेहद कम मिलेंगे।
जिस मोड़ पे सब छोड़ देंगे,
उस मोड़ पे खड़े हम मिलेंगे।

ये आरजू नहीं कि किसी को भुलाएं हम।
न तमन्ना यह कि किसी को रुलाएं हम।
दुआ है यही कि जब जिसे याद करते हैं,
तब, उसको भी उतना ही याद आएं हम।


प्यार करने वालों के चालान काटे जाएंगे।
वफ़ा करने वालों के नाम काटे जाएंगे।
दो क़दम जगह अपने लिए भी रख लेना,
सुना है आशिक़ों को श्मशान बांटे जाएंगे।

जिंदगी कभी मुश्किल कभी आसां होती है।
जिंदगी कभी उ़फ्फ़ तो कभी अहा होती है।
न भुलाना कभी अपनी मुस्कराहट को तुम,
क्योंकि उसीसे हर मुश्किल आसान होती है।

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