04 मार्च, 2010

जिंदगी के सबक

एक आदमी तोता ख़रीदने गया था। दुकानदार ने बताया कि यह तोता पंजाबी, अंग्रेजी और हिंदी- ये तीन भाषाएं बोलता है। आदमी को यक़ीन नहीं हुआ। सो, उसने परीक्षा लेने के लिए पूछा, ‘तु कौन ऐ?’ तोते ने बड़ी शालीनता से जवाब दिया, ‘मैं इक तोता वां।’ दूसरा सवाल, ‘हू आर यू?’ तोता, ‘आय’म अ पैरट।’ फिर उस आदमी ने पूछा, ‘तुम कौन हो?’ तोते ने कहा, ‘तेरी ऐसी की तैसी, कितनी बार बताऊं कि मैं तोता हूं, तोता हूं।
सबक़: सवाल पूछना भी अक्लमंदी है।



एक मच्छर जिंदगी में पहली बार ख़ून चूसने के लिए निकला था। वह ख़ून तो नहीं पी पाया, उल्टे बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाकर लौटा। मच्छर के बाप ने पूछा, ‘बेटे, कैसा रहा पहला सफ़र?’ युवा मच्छर ने बड़े गर्व से जवाब दिया, ‘बहुत बढ़िया डैड, हर कोई मेरी उड़ान देखकर ताली बजा रहा था।’
सबक़: हर बात में सकारात्मकता देखें।



एक मेंढक ने ज्योतिषी से भविष्य पूछा। ज्योतिषी ने बताया कि बहुत जल्दी तुम्हें एक सुंदरी के हाथों का स्पर्श मिलेगा। मेंढक बहुत ख़ुश हुआ। कुछ दिनों बाद प्रयोगशाला की टेबल पर एक छात्रा उस मेंढक की चीर-फाड़ कर रही थी।
सबक़: भविष्य कहना भी एक कला है।



एक आदमी बकरा ख़रीदने गया, तो दुकानदार ने क़ीमत बताई 500 रुपए। आदमी, ‘इतना सस्ता क्यों?’ दुकानदार, ‘चीनी बकरा है। कोई गारंटी नहीं, कल को भौंकना शुरू कर दे।’
सबक़: गारंटी की इच्छा न करें।




सबक : इन सब कहानियों का सबक़ यह है कि जीवन में हमेशा गंभीर सबक़ की आशा न रखें। हो सकता है कि कोई बात पहले तो हंसाए, फिर कुछ काम की बात कह जाए।

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही खूबसूरती से पिरायी गयी प्रेरक कथाएं। बधाई।

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  2. चन्द्रकान्ता सन्तति के आगे के भाग ( १५ से आगे) क्या नहीं पोस्ट किए गए?

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