तलाशती हैं अपनी छूटी हुई लिपस्टिक
और यक़ीन करती हैं, तबाह होती हैं
वे चली जाना चाहती हैं
और लौट आना भी,
वे किसी गहरे रंग की पतंग पर बैठकर
परी या मां बनने को
गायब हो जाना चाहती हैं दरअसल
और तुम उन्हें बताते हो कि
उन्हें डॉक्टर बन जाना चाहिए
और उस उजड़ी हुई महानता में
तुम उन्हें ख़ूबसूरती से धकेलते हो बार-बार
जहां तुम बीमार हो
और तुम्हें खेलना है उनकी लटों से,
शिकायतें करनी हैं
और तुतलाना है।
एक उदास रात में
तुम खोलते हो अपने काले रहस्य
और अपनी अनिद्रा के चुम्बनों से
उन्हें जला डालते हो,
फिर एक सुबह तुम घर से निकलते हो
पूर्व के जंगलों की ओर
और महान हो जाते हो।
वे अकेली जलाती हैं चूल्हे,
काली पड़ती हैं
और मां हो जाती हैं।
गौरव सोलंकी
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