04 मार्च, 2010

होली के पेच

1.

किसी ने हम से पूछा-
होली के त्योहार पर
क्यों गोरे तेरे गाल।
हमने हंस कर कहा-
महंगाई में डूब चुका
सारा बाजार
हम पर ख़र्च कौन करे
फिर आधा किलो गुलाल।





2.


रंगों में घुला मुखड़ा लाल गुलाबी है
जो भी देखे, कहे चाल शराबी है
पिछले बरस तूने जो भिगोया था होली में
अब तक निशानी वो रुमाल गुलाबी है।


3.

उड़ते पेचों-खम ने दीवाना बना दिया।
इक बात क्या कही कि अफ़साना बना दिया।
शमां की तरह हुस्न निखर बिखर रहा,
जलने की आरजू में परवाना बना दिया।

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