बशीद बद्र ने उर्दू शायरी को नया रंग और नए तेवर ब़ख्शे। सादा शब्दों में कहे उनके शेर दिल की गहराइयों तक उतर जाते हैं।
आंसुओं में धुली ख़ुशी की तरह
रिश्ते होते हैं शायरी की तरह
जब कभी बादलों में घिरता है
चांद लगता है आदमी की तरह
किसी रोजन किसी दरीचे से
सामने आओ रोशनी की तरह
सब नजर का फ़रेब है वर्ना
कोई होता नहीं किसी की तरह
ख़ूबसूरत, उदास, ख़ौफ़जदा
वो भी है, बीसवीं सदी की तरह
जानता हूं कि एक दिन मुझको
व़क्त बदलेगा डायरी की तरह
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