बर्फ़ के तोदों को देखकर उसके मन में एक दिन विचार आया, बर्फ़ के यह टुकड़े समुद्र में बेकार ही तो पड़े रहते हैं। क्यों न इन्हें समुद्र से निकालकर ज़रूरतमंद लोगों तक पहुंचाया जाए और अच्छा-खासा धन कमाया जाए।
आगे चलकर इस भावना के बलवती होने पर उसने मन में यह ठान लिया कि वह बर्फ़ का व्यापारी बनेगा और बोस्टन के तटवर्ती क्षेत्र में जमा होने वाली बर्फ़ को उन देशों में ले जाकर बेचेगा, जहां बर्फ़ की आवश्यकता होगी।
फ्र्रेडक ट्यूडर का यह सपना 1805 में पूरा हो गया। फ्र्रेडक के लिए जहाज़ किराए पर प्राप्त करने और बर्फ़ मिलने की कोई समस्या नहीं थी। किसी न किसी प्रकार फ्र्रेडक ने कुछ नाविकों को इस काम के तैयार कर लिया। लोग फ्र्रेडक ट्यूडर का मज़ाक उड़ा रहे थे, किंतु उसने किसी की परवाह नहीं की। उसने इस मामले में अपनी बचपन की गलफ्रैंड की भी परवाह नहीं की, जिससे वह बेहद प्रेम करता था। उसकी प्रेमिका ने तो उसे पागल तक घोषित कर दिया, पर वह विचलित न हुआ।
एक रात ट्यूडर ने बड़ी ख़ामोशी से मार्टिनिक के लिए अपने जहाज़ के लंगर उठा दिए, जो बोस्टन से लगभग सौ मील दूर था। यद्यपि बोस्टन और मार्टिनिक के बीच के रास्ते के मौसम में कोई ख़ास अंतर नहीं था, इसके बावजूद उसकी आधी बर्फ़ रास्ते में पिघल गई। जो थोड़ी-बहुत बर्फ बच रही, उसे भी जहाज़ से निकालना कठिन हो गया। फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने बर्फ़ को किसी प्रकार उतारा और मार्टिनिक के तट पर दुकान सजाकर बैठ गया। मार्टिनिक के लोगों ने उसको प्रोत्साहन नहीं दिया। इस यात्रा में उसे चार हज़ार पांच सौ डालर का नुक़सान उठाना पड़ा। उसने अपनी पहली यात्रा की विफलता पर आत्मचिंतन किया। अन्तत: उसने यह निश्चय किया कि इस बार वह किसी ऐसे देश में बर्फ़ ले जाएगा, जहां तेज़ गर्मी पड़ती हो और जहां के लोगों में बर्फ़ ख़रीदने की क्षमता भी हो। उसने भारत की ओर जाने का विचार किया। एक दिन एक सौ तीन टन कुदरती बर्फ़ जहाज़ पर लादकर वह इंडिया के लिए चल पड़ा। अख़बारों ने बोस्टन के इस सिरफिरे नवयुवक की कहानी प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित की।
वह कलकत्ता के तट पर लंगर अंदाज़ हुआ। इस लंबी यात्रा में भी उसकी आधी बर्फ़ पानी बन गई। वह कहता था कि वह भारतीयों के लिए समुद्र-पार से एक अनोखी सौगात लाया है। इसके बाद तो ट्यूडर के लिए सौभाग्य का द्वार खुल गया। उसका व्यापार केवल भारत तक ही सीमित न रहा। बर्फ़ के इस व्यापारी ने अपने व्यावसाय के अंतिम वर्ष में बर्फ़ के लदे हुए 363 जहाज़ संसार के कोने-कोने में बेचे और करोड़ों डालर कमाए। यह विधि की विडम्बना ही कही जाएगी कि जिस ट्यूडर ने मनचाहा धन बटोरा, उसका अंत घोर दरिद्रता में हुआ। बर्फ़ के व्यवसाय का यह बेताज बादशाह कृत्रम बर्फ़ की तैयारी आरंभ होने के साथ ही बरबाद हो गया।
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