23 जनवरी, 2010

झगडा - कहानी

एक किसान की गाड़ी में दो घोड़े जुते हुए थे। दोनों पूरे व़क्त झगड़ते रहते। ..हर समय चख-चख। अचानक एक दिन उनमें से एक घोड़ा मर गया। दूसरे घोड़े को अब महसूस हुआ कि अकेलापन क्या होता है। उसे पूरे समय अपने साथी की याद सताने लगी। जब वह नहीं है, तो लगता है कि कुछ समय प्रेम से बिताते, तो कितना अच्छा होता।

किसान ने नया घोड़ा ले लिया। पुराने घोड़े ने सोचा कि इस नए साथी से कभी झगड़ेगा नहीं, लेकिन नए घोड़े से जान-पहचान का औपचारिक व़क्त बीतते-न-बीतते दोनों में फिर खींचतान और झगड़ेबाज़ी शुरू हो गई। एक दिन अचानक यूं ही झगड़ते-झगड़ते पुराने घोड़े को अपना पुराना साथी याद आ गया। उसे याद आया कि उसके मरने पर उसे कितना दुख हुआ था। फिर मैं वैसी ही हरक़त दोबारा क्यों करने लगा। उसने आश्चर्य में पड़ कर सोचा।

रात को अस्तबल में उसने एक पुराने गधे को सारी बात बताई। घोड़े की पूरी बात सुनकर वह बोला- ‘झगड़ना सबका स्वभाव हो जाता है। इससे बचने का एक ही तरीक़ा है-तुम हर व़क्त यह याद रखो कि तुम कभी भी मर सकते हो। साथ ही यह भी कि अगले ही क्षण तुम्हारे सामने जो दूसरा है-मर सकता है। अगर मौत हर क्षण तुम्हारे साथ होगी, तो तुम कभी भी छोटी-मोटी बातों पर मौजूदा व़क्त बरबाद नहीं करना चाहोगे।

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