19 जनवरी, 2010

डर -कहानी

एक व्यक्ति ने रात में सपना देखा कि एक शेर उसके पीछे पड़ गया है। और वह भागकर किसी तरह एक पेड़ पर चढ़ जाता है। उसने ऊपर पहुंचकर दम लिया और नीचे देखा, तो शेर अब भी नीचे बैठा हुआ था।

वह जान गया कि उसे का़फी समय तक इसी तरह इस पेड़ पर व़क्त गुÊारना होगा। उसने थोड़ा आराम से बैठने के लिए इधर-उधर नजर डाली, तो उसका दिल ही बैठ गया। उसकी नजर दो चूहों पर पड़ती है, जो उस शाख को कुतर रहे थे, जिस पर वह बैठा था। इनमें से एक चूहा काला और दूसरा सफेद था। वह जान गया कि देर-सवेर वह शाख भी Êारूर गिरगी।

घबराकर उसने एक बार फिर नीचे को चारों ओर नÊार घुमाई। इस बार उसने देखा कि शेर से थोड़ी दूर एक अजगर ठीक उसके नीचे अपना मुंह फाड़े उसके गिरने की राह ही देख रहा है। घबराहट में उसे कुछ सूझ नहीं रहा था। उसने ऊपर ईश्वर की ओर देखते हुए प्रार्थना करना शुरू की। प्रार्थना के लिए ज्यों ही उसका मुंह खुला अचानक ही उसे लगा कि जैसे उसके मुंह में कुछ मीठी वस्तु आ गई है। उसने देखा उसके ठीक ऊपर एक शहद का छत्ता था, जिससे रिस-रिस कर शहद की बूंदें धीर-धीर गिर रही हैं।

इस मिठास ने उसके मुंह का जायका ही बदल दिया। वह मुंह खोलकर बार-बार बूंद के टपकने का इंतÊार करने लगा। अब उसे इसमें आनंद सा मिलने लगा। जब भी बूंद गिरती वह ़खुशी में कूदने सा लगता। चारों ओर खतरों से घिर होने के अहसास और उस ़खौफ को भूलकर वह इस खेल में मस्त हो गया। उसे उस समय सिवाय छत्ते और शहद की बूंद के मिठास के कुछ भी दिखाई देना बंद हो चुका था।

सबक: यह सारा डर बस मृत्यु का डर है। अगर मृत्यु के बार में ही सोचते रहेंगे, हर जगह उसे ही देखते रहेंगे, तो जीवन रूपी शहद के आनंद से वंचित रह जाएंगे। जीवन के आनंद को पहचानने वाला ही जीवन का रस ले पाता है।

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